संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

बुधवार, 29 अप्रैल 2009

सह लिया हर दर्द

सह लिया हर दर्द हमने हस्ते हस्ते,
उजड़ गया घर मेरा यारो बस्ते बस्ते।
अब वफा करे तो किस से करे यारो,
वफा करने गये तो बेवफा ही मिल रास्ते रास्ते।।


ज़रूरी तो नही जीने के लिये सहारा हो,
ज़रूरी तो नही हम जिनके हैं वो हमारा हो ।
कुछ खुशियाँ डूब भी जाती हैं,
ज़रूरी तो नही के हर कश्ती के कोई किनारा हो।।



सपनो का तरह आकार चले गये,
आपनो को भुला कर चले गये ।
किस भूल की सज़ा थी आपने हमें,
पहले हसाया, फिर रुला कर चले गये ॥

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मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

लम्हे

वक्त की धरती पर
लम्हों के निशाँ
कभी नहीं बनते !!
लम्हे तो वैसे ही होते है
जैसे समंदर की छाती पर
अलबेली-अलमस्त लहरें
शोर तो बहुत करती आती हैं
मगर अगले ही पल
सब कुछ ........ख़त्म !!

कवि : राजीव जी की रचना

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सोमवार, 27 अप्रैल 2009

मेरी तनहाई...

मेरे पास है बस मेरी तनहाई
बस इसी ने ही दोस्ती निभाई।
जब छोड रही थी मुझे मेरी परछाई
तब इसी ने आकार हिम्मत बंधाई।।

है पास मेरे मेरी तन्हाई
फिर किसी से रखु कैसी रुसबाई।
चन्द लम्हो में सारा जहाँ लुट गया
एक दौलत बची वो थी तनहाई।।

भूल बैठे थे हम इस हसी दोस्त को
पर चुप रह कर भी जो साथ चली वो थी मेरी तन्हाई ।
भरोसा है मुझे जब कोई साथ न होगा
तब साथ देगी मेरा मेरी तनहाई।।

तू अगर साथ है तो फिर कैसी रुसबाई
बस एक तू ही मेरे मन को है भाई।
संग चलती है मेरे खामोश रह कर
किस कदर शुक्रिया अदा करु मैं अदा मेरी तनहाई ।।

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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

इसे क्या कहते है

तेरे जाने पर जान पाये ,
कि विश्वासघात किस कहते है ।
बस ता- उम्र यही सोचैगे,
कि प्यार किस कहते है । ।

तुम से मिल कर ही समझ पाये,
कि धोखा किस कहते है।
हर घड़ी हर पल दिल में होती है मशक़्क़त,
कि जो तुमने किया उसे क्या कहते है । ।

रोते हस्ते कट जायेगी ये ज़िन्दगी भी ,
पर हर साँस के साथ हम वेबफा तुम्ह कहते है।
एक बार तो आनी है उम्र भर कि नीद,
पर हर रात को जग कर पल पल मरना मुझे कहते है। ।

हर दम दे जाता है नया गम,
क्या सच में प्यार इसी को कहते है ।
जब भी चाही खुशी रुस्बैया मिली ,
क्या किस्मत इसी को कहते है । ।

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गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

काली परछाई है ज़िन्दगी

जाने किस मोड़ पर लाई है ज़िन्दगी ।
बस मायूसी ले कर आई है ज़िन्दगी । ।

हर तरफ टूटे हुए रिश्तो की खामोशी है ज़िन्दगी ।
एक बोझ बन के अब तो छाई है ज़िन्दगी । ।

सपना सलोना न कोई ख्वाहिश है ज़िन्दगी ।
चंद सांसो से बनी बारिश है ज़िन्दगी । ।

मौत मंज़िल है जिस मुकाम की ऐसा रास्ता है ज़िन्दगी ।
वक्त की मार से आज मुरझाई है ज़िन्दगी । ।

एक पल को भी चैन और आराम न पाई है ज़िन्दगी ।
मौत से पहले भी कई बार मौत लाई है ज़िन्दगी । ।

न तू साथी है और न ही ज़िन्दगी है जिन्दगी ।
मेरे ही अक्स की काली परछाई है ज़िन्दगी । ।

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मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

दर्द

महोब्बत है अजीब, आंखो में आँसू सजाये बैठे है ।
देवता नही है, फिर भी हम सपनो का मंदिर सजाये बैठे है । ।

किस्मत की बात है, दुनिया से खुद को छुपायें बैठे है ।
कैसे बया करे, उन पर हम अपना सब कुछ लुटाये बैठे है । ।

बेरहम है ये दुनिया, फिर भी अदला जमाये बैठे है ।
वो दूर है तो क्या, उनका दिल दिल से लगाये बैठे है । ।

वो लौट कर न आयेगे, फिर भी नज़रे बिछाये बैठे है ।
उनसे मिलने की ललक में, सब कुछ भुलाये बैठे है । ।

आंखो से आँसू इतने गिरे , की समन्दर बनाये बैठे है ।
वो वेरहम है पता है मुझको , फिर भी तेरे सजदे में सर को झुकाये बैठे है । ।

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सोमवार, 6 अप्रैल 2009

दर्द से हाथ न मिलाते तो क्या करते

दर्द से हाथ न मिलाते तो क्या करते,
 
गम के आंसू न बहते तो क्या करते,
 
किसी ने मांगी थी हमसे रोशनी,
 
हम खुद को न जलते तो क्या करते ? ?  

 
मेरे दिल के ज़ख्म अब आह नही भरते,
 
क्योकि वो अब इस दिल में रहा नही करते,
 
हमने आँसू से उनको विदाई दी है
 
इन आँखों में अब अश्क रहा नही करते।! ! ! 

 
तुझे आँसू भारी वो दुआ मिल
 
जिसे कभी न इन्कार ख़ुदा करे,
 
तुझे हसरत न रहे कभी जन्नत की
 
तेरे आंगन में मोहब्बतो की ऐसी हवा चले… 

 
चले गये हो दूर कुछ पल के लिये,
 
दूर रहकर भी करीब हो हर पल के लिये,
 
कैसे याद न आय आपकी एक पल के लिये,
 
जब दिल में हो आप हर पल के लिये…

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बुधवार, 1 अप्रैल 2009

होठो पे हसीं देख ली

होठो पे हसीं देख ली ,दिल में नही देखा ...
यारों ने मेरे गम का समन्दर नही देखा !!

कितनी हसीन है दुनिया ये देखा है आपने ...
मर मर के जीने वालों का मंज़र नही देखा !!

शीशे के मकान तुमने बना तो लिया दोस्त ...
लेकिन वक्त के हाथ का पाथर नही देखा !!

रिश्तो के टूटने का दर्द आप क्या समझें ...
वो लम्हा कभी आप ने जी कर नही देखा !!

भटके हो रोशनी कि लिये यूँ दर बदर ...
अफ़सोस की अपनी रूह के अन्दर नही देखा !!

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