कतरा कतरा
यूँ मेरा जिन्दगी भी जीना कतरा कतरा
यूँ तेरे लिए जहर भी पीना,, कतरा कतरा
चोट खाकर मेरा यूँ खामोश रहना
यूँ मेरा जख्म भी सीना ,,कतरा कतरा
तुमसे मोहब्बत हमें और छुपाना तुमसे
ये माथे पे मेरे पसीना ,,कतरा कतरा
तुम्हे पाने की ख़ुशी और डर मेरा ये
चाँद सा डर ये नगीना ,,कतरा कतरा
खोने की वजह नहीं कोई और वहम ये
आँखों की बारिश का महीना ,,कतरा कतरा
खामोश हूँ इन बातों से क्या
मुझे है यूँ ही जीना ,,कतरा कतरा
कवि : "अजीत त्रिपाठी जी" की रचना