तुम नयन गगन से उतर रहे हो....
तुम नयन गगन से उतर रहे हो....
इस मन के समतल पर....!!
मैं धारा सी मचल रही हूँ ....
सागर के हिर्दय पर ....!!
मैं मयूर-सी नाच रही हूँ ....
तेरी ही सरगम पर ....!!
चंचल नयन पखुरु हो गये ....
उठते है ,संग तुम को लिये गगन पर....!!
तुम नयन गगन से उतर रहे हो....