संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

शनिवार, 5 जून 2010

जारी है एक सफ़र मेरा तीरगी के साथ

जारी है एक सफ़र मेरा तीरगी के साथ
जंग चल रही है मेरी रौशनी के साथ

मुझे मालूम नहीं कि क्या सोच कर
मै खुद भी रो दिया बेबसी के साथ

ताज़ा हुए है जख्म मेरे फिक्र कीजिये
जब से मिला वो मुझे बेरुखी के साथ

पैमाने मै तुझको यू उदास देखकर
मैकदे से घर गया तिशनगी के साथ

होसलो तुम भी मेरे संग- संग चलो
जंग चल रही है मेरी जिंदगी के साथ

कवि : रोहित कुमार "मीत" जी कि रचना

7 टिप्पणियाँ:

उम्मीद 5 जून 2010 को 10:18 am बजे  

रोहित जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन

M VERMA 5 जून 2010 को 12:36 pm बजे  

ताज़ा हुए है जख्म मेरे फिक्र कीजिये
जब से मिला वो मुझे बेरुखी के साथ
जख्म ऐसे ही मिलते हैं

आचार्य उदय 5 जून 2010 को 12:37 pm बजे  

आईये जानें .... मैं कौन हूं!

आचार्य जी

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