पल दो पल...
पल दो पल... चल साथ चले,
फिर रह जाने... विराने है!!
आज चलो... कुछ ऐसे मिलें,
लोग कहे... दिवाने है!!
तुम संग मिलके... ऐसे जले,
लोग कहे... परवाने है!!
मन में ऐसे... हूक उठे ,
हाथ मिले... छूट जाने है !!
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हिंदी साहित्य |
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पल दो पल... चल साथ चले,
फिर रह जाने... विराने है!!
आज चलो... कुछ ऐसे मिलें,
लोग कहे... दिवाने है!!
तुम संग मिलके... ऐसे जले,
लोग कहे... परवाने है!!
मन में ऐसे... हूक उठे ,
हाथ मिले... छूट जाने है !!
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10 टिप्पणियाँ:
बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति लगी ।
badhiya...
छोटी लाइनों में उम्दा बात ।
पर्वाने को परवाने तथा दिवान को दिवाने कर दीजिये।
ajay ji bhut bhut dhanyabad....isi tarh apne sujhab dete rahiyega
gargi
बहुत सुंदर...एक बार और इसमें 'मिल' की जगह 'मिलें ' लिखना चाहती रही होंगी
कितना जोश था उन खून की दो बूंदों में, एक दुनिया बनी एक मिट गयी ।
कहतें हैं मिलता हैं सकूँ आपकी महफिल में हम तो जब भी लौट बेकरार ही रहें।
Gullu.
bahut sundar ji...
lajaab......
bht hi pyaari prastuti .......shubhkaamnaayein!
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