अपनों को बुरा बताते नहीं है
कुछ दर्द ऐसे भी होते है ।
जो नज़र आते नहीं है॥
कुछ किस्से ऐसे भी होते है ।
जिन्हें बताते नहीं है॥
चाहे दुःख से छलनी हो सीना ।
फिर भी हम अपने जख्म दिखाते नहीं है ॥
दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है ॥
हिंदी साहित्य |
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कुछ दर्द ऐसे भी होते है ।
जो नज़र आते नहीं है॥
कुछ किस्से ऐसे भी होते है ।
जिन्हें बताते नहीं है॥
चाहे दुःख से छलनी हो सीना ।
फिर भी हम अपने जख्म दिखाते नहीं है ॥
दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है ॥
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10 टिप्पणियाँ:
kuchh dard aise hote hain jo nazar aate nahi-- bahut badiya bhavabhiviakti hai badhai
दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है ॥
-बहुत सही!!
kya baat hai
dard humesha khud tak hi seemit rakhna chahiye ...
tabhi insaan chhipata bhi hai
बेहतर रचना के लिये आभार ।
भावपूर्ण रचना। कम शब्द गहरी बात। वाह। कहते हैं कि-
हर बार अपना दर्द बताना नहीं अच्छा।
और जख्म हैं ऐसे कि छुपाना नहीं अच्छा।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
Gargi jee,
Aapki Bhavna se mai sahmat hoon..Aur ye bhi kahana chahta hoon ki ye dukh sukh se adhik sahayak hota hai ek ensan ke liye..So jo bhi mile sabka samman hai..
दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है.
वाह! वाह!
अच्छा लिख रहीं है,.
मीत
Kabil-e-tarif...keep it up..
आपने एक कारगर रचना लिखी हैं , दर्द....एक अज़ीम रचना ।
भावः पूर्ण रचना दिल को छू लिया
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
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