जारी है एक सफ़र मेरा तीरगी के साथ
जारी है एक सफ़र मेरा तीरगी के साथ
जंग चल रही है मेरी रौशनी के साथ
मुझे मालूम नहीं कि क्या सोच कर
मै खुद भी रो दिया बेबसी के साथ
ताज़ा हुए है जख्म मेरे फिक्र कीजिये
जब से मिला वो मुझे बेरुखी के साथ
पैमाने मै तुझको यू उदास देखकर
मैकदे से घर गया तिशनगी के साथ
होसलो तुम भी मेरे संग- संग चलो
जंग चल रही है मेरी जिंदगी के साथ
कवि : रोहित कुमार "मीत" जी कि रचना
7 टिप्पणियाँ:
रोहित जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन
waah lajawaab gazal...
bahut sunder ghazal....
ताज़ा हुए है जख्म मेरे फिक्र कीजिये
जब से मिला वो मुझे बेरुखी के साथ
जख्म ऐसे ही मिलते हैं
आईये जानें .... मैं कौन हूं!
आचार्य जी
this is very good....
Nice post
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