ये प्यास पीते,और भूख खाते है
यू ही नहीं किसान पूजे जाते है
ये प्यास पीते,और भूख खाते है
बेबसी के आसू मे आँचल भीगा
उसे हमदर्दी की धूप मे सुखाते है
जिस्म का बोझ नहीं उठता हमसे
और ये खेतो मे गठ्ठर उठाते है
करते है शाद्ध बड़ी श्रद्धा के साथ
मरने के बाद भी रिश्ता निभाते है
कवि: रोहित कुमार "मीत" जी की रचना
5 टिप्पणियाँ:
waah.......bahut hi umda lekhan.........kisaanon ke dard ko jubaan de di aapne....badhayi
http://imashwini.blogspot.com/2008/04/farmers-plight.html
nice
बहुत सुन्दर रचना.
अच्छी अभिव्यक्ति
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