संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

शनिवार, 7 नवंबर 2009

ये पत्थर की दुनिया है .....!!

ये पत्थर की दुनिया है । 
खव्बो को संभाले रखना ।।
 
ले रक्खा है हाथो में नामक ।
अपने घवो को बचाकर रखना।।
 
ठोकर पर सहारा भी तुम को न मिलेगा ।
अगर गिरो तो उठने का होसला रखना ।।
 
रूठ जायगी खुशी एक दिन ।
इस लिये गम को अपना यार बना कर रखना ।।
 
सलामत रहे हर रिश्ता।
दुआ में अपना हाथ उठाये रखना।।
 
उसकी सत्ता का कोई सामी भी नही है ।
बस अपने सर को उसके  सज्दे में झुकाये रखना ।।

6 टिप्पणियाँ:

IMAGE PHOTOGRAPHY 7 नवंबर 2009 को 11:56 am बजे  

सलामत रहे हर रिश्ता।
दुआ में अपना हाथ उठाये रखना।।

सुन्दर अभिव्यक्ति..

IMAGE PHOTOGRAPHY 7 नवंबर 2009 को 11:56 am बजे  
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
M VERMA 7 नवंबर 2009 को 9:33 pm बजे  

ले रक्खा है हाथो में नामक ।
अपने घवो को बचाकर रखना।।
बेहतरीन भाव

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