तुम नयन गगन से उतर रहे हो....
तुम नयन गगन से उतर रहे हो....
इस मन के समतल पर....!!
मैं धारा सी मचल रही हूँ ....
सागर के हिर्दय पर ....!!
मैं मयूर-सी नाच रही हूँ ....
तेरी ही सरगम पर ....!!
चंचल नयन पखुरु हो गये ....
उठते है ,संग तुम को लिये गगन पर....!!
तुम नयन गगन से उतर रहे हो....
18 टिप्पणियाँ:
achchhe bimbon ka prayog laga .. lekinprem se itar bhi kuchh likhiye.. sirf premkahani ya apna gum likhna sabkuchh nahin.
बहुत अच्छी उपमाएं, सुन्दर प्रणय-गीत.
तुम नयन गगन से उतर रहे हो....
बेहद खूबसूरत
bahut khoob..prem par likhte rahiye...bahut khoob
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना!
बिम्बों का प्रयोग बहुत बढ़िया ढंग से किया गा है!
एक अदम्य जिजीविषा का भाव कविता में इस भाव की अभिव्यक्ति हुई है।
badhiya rachna...
sundar avivayakti!
aap sabhi ke is protsahan ke liye bhut bhut dhanyabad.
Deepak ji aap jaroor or bhi bishayo par rachnaye padainge.....main puri koshish karugi ki lekhni ki abhivyakti or bistrit ho ....aap ke is sujhab ke liye abhar
BAHUT KHUB
BADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHEKHAR KUMAWAT
nice.
sundar bhav sanyojan.
yah rachna badi acchi ban padi hai....isi tarah likhti rahe....
कविता है.....और सच भी.....दर्शन भी...और हकीकत भी.....जीवन भी है और धर्म भी......इसिलिये होता है कविता में जीवन का मर्म भी.....!!!!सच कविता में बड़ा अर्थ है....!!!
कभी-कभी कुछ सरल से शब्द ज्यादा सच्चाई से जीवन को....और उसकी गहराई को व्यक्त कर जाते हैं.....ऐसी ही लगी यह कविता आपकी मुझे....लिखती रहे.....आभार
एक सुन्दर रचना
http://athaah.blogspot.com/
bahut khub ! aapko meri taraf se bahut sare ladu , pede...... is kavita ke liye. manmohani panktiyon ke liye dhanyawad.
बहुत अच्छी.....ur way of expression thoughts is really very good... i like it
awesome blog i like ur post man
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Achha hai sahi !!
thanks
R.Yadav
hriday sparshi rachnaa.........bht acchi lagi.....shubkamnayein
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