आप
मन दर्पण है घर अगन
मन का सच्चा प्रतीविम्ब हो आप
सपना देखू हर पल में तो
उन सपनो का साथ हो आप
मन में अति भावनाओ है
उन भावो का सर हो आप
जिसे छुपाये फिरती सब से
ऐसा हसी राज़ हो आप
भाव विचरते है इस मन में
उनकी की अभिव्यक्ति हो आप
पल्को में तस्वीर सजी है
अपलक निहारू, ऐसी मूरत हो आप
4 टिप्पणियाँ:
पल्को में तस्वीर सजी है
अपलक निहारू, ऐसी मूरत हो आप
bahut khoobsoorat ho aap aur aapki ye kavita...
very very good...
"अंतिम दो पँक्तियाँ बेहतरीन हैं......."
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
nice written depicting pamperness and respect. nice wordings.
keep smiling.
pyaar aur pyaar aur sirf niswaarth pyaar hhi chupa hai is kavita me ..
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