ख्वाब
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दाग आँसुओं से धोये हैं,
जब भी तन्हा हुए हैं रोंय हैं।
दिल में क्यो कर न उगे याद तेरी,
दिल में तेरे ही ख्वाब बोए हैं ॥
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हिंदी साहित्य |
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1 टिप्पणियाँ:
क्या बात है !!
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