उन्हें क्या मालूम
सुर्ख आँखों में अदा है , उन्हें क्या मालूम
ये हसीनो की खता है , उन्हें क्या मालूम
हम तो दीवाने हुए सर कलम करा बैठे
ये राह-ऐ-वफ़ा है , उन्हें क्या मालूम
वो आज आये हैं महफ़िल में अजाँ करते हुए
कोई बतलाये खुदा है , उन्हें क्या मालूम
उनकी ग़ज़लों में असर है तन्हाई का
कोई खौफज़दा है , उन्हें क्या मालूम
उनकी तबियत खिली रहे हमेशा ''अजीत''
ये नमाज़ अता है , उन्हें क्या मालूम
कवि : ''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना
4 टिप्पणियाँ:
ghazal ke baare men bahut jaankari nahin hai fir bhi kah sakte hain ki ghazal man ko chhoo gai.
achchhi ghazal padhwane ke liye aabhar.
sharp and smooth ghazal depicts deep feelings from heart. bahtrein . bahut badiya.
great work.
अब हमें ये पता चल गया कि आपको उनके बारे में काफी कुछ मालूम है।
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