संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

सोमवार, 7 दिसंबर 2009

उन्हें क्या मालूम

सुर्ख आँखों में अदा है , उन्हें क्या मालूम
ये हसीनो की खता है , उन्हें क्या मालूम

हम तो दीवाने हुए सर कलम करा बैठे
ये राह-ऐ-वफ़ा है , उन्हें क्या मालूम

वो आज आये हैं महफ़िल में अजाँ करते हुए
कोई बतलाये खुदा है , उन्हें क्या मालूम

उनकी ग़ज़लों में असर है तन्हाई का
कोई खौफज़दा है , उन्हें क्या मालूम

उनकी तबियत खिली रहे हमेशा ''अजीत''
ये नमाज़ अता है , उन्हें क्या मालूम

कवि : ''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना

4 टिप्पणियाँ:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर 7 दिसंबर 2009 को 11:31 pm बजे  

ghazal ke baare men bahut jaankari nahin hai fir bhi kah sakte hain ki ghazal man ko chhoo gai.
achchhi ghazal padhwane ke liye aabhar.

alfaz 8 दिसंबर 2009 को 9:07 am बजे  

sharp and smooth ghazal depicts deep feelings from heart. bahtrein . bahut badiya.

Rajeysha 10 दिसंबर 2009 को 8:00 pm बजे  

अब हमें ये पता चल गया कि‍ आपको उनके बारे में काफी कुछ मालूम है।

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