रखा क्या है अहंकार में....!!
बदलने लगी हूँ ......
तेरे प्यार में!!
खोने लगी हूँ ......
तेरी राह में!!
सब से अलग हूँ ......
मैं संसार में!!
जब से जुड़ी हूँ ......
तेरे साथ में!!
संभालने लगी हूँ ......
मझधार में!!
बस गया बस तू ही तू ......
मेरी हर सांस में!!
आता मजा है ......
अब तिरस्कार में!!
डूबी हूँ तुझ में ......
रखा क्या है अहंकार में ???
15 टिप्पणियाँ:
बेहतरीन शब्दों के साथ सुंदर कविता...
हाँ, अहंकार मे तो वाकई कुछ नही रखा है..सुंदर अभिव्यक्ति...
सुंदर कविता...
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
achchhi hai
डूबी हूँ तुझ में ......
रखा क्या है अहंकार में ???
वाकई अहंकार में कुछ नही रखा है.
सुन्दर रचना
bahut hi sundar kavita.
ati uttam....ati uttam..
बढ़िया रचना शब्दों की मुहताज नही है!
आपकी रचना इसका प्रमाण है!
ये तो मजेदार है।
kam se kam shabdon me kya-kuchh kahaa ja sakta hai. aapki kavita me dikhata hai.
बहुत बढ़ीया!!
बहुत ही सुंदर रचना है।
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बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
अहंकार से उबरने पर मजे ही मजे हैं जी।
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