वो तजुर्बा भी बेकार हुआ
बाद तेरे न किसी का भी ऐतबार हुआ
एक जो था वो तजुर्बा भी बेकार हुआ
तुझे थे ही नहीं पसंद इंसान यहाँ के
खुदाया दिल कुरबां क्यूँ कई बार हुआ
तुम्हे देखने की तमन्ना हर रात रही
और तुझे भूलना भी हर सुबह यार हुआ
तुम मिले नहीं और रही कई ख्वाहिश दिल में
ऐसे ही अकेले दिल आंसुओं का कुनबादार हुआ
बस माँगा था तुझे और खुदा अब दिखता नहीं
पहली बार किसी शक्श से खुदा शर्मशार हुआ
एक जो था वो तजुर्बा भी बेकार हुआ
तुझे थे ही नहीं पसंद इंसान यहाँ के
खुदाया दिल कुरबां क्यूँ कई बार हुआ
तुम्हे देखने की तमन्ना हर रात रही
और तुझे भूलना भी हर सुबह यार हुआ
तुम मिले नहीं और रही कई ख्वाहिश दिल में
ऐसे ही अकेले दिल आंसुओं का कुनबादार हुआ
बस माँगा था तुझे और खुदा अब दिखता नहीं
पहली बार किसी शक्श से खुदा शर्मशार हुआ
2 टिप्पणियाँ:
waah waah waah....
bas aur kuch nahi...
बस माँगा था तुझे और खुदा अब दिखता नहीं
पहली बार किसी शक्श से खुदा शर्मशार हुआ
-बहुत सुन्दर!!
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