दर्द
महोब्बत है अजीब, आंखो में आँसू सजाये बैठे है ।
देवता नही है, फिर भी हम सपनो का मंदिर सजाये बैठे है । ।
किस्मत की बात है, दुनिया से खुद को छुपायें बैठे है ।
कैसे बया करे, उन पर हम अपना सब कुछ लुटाये बैठे है । ।
बेरहम है ये दुनिया, फिर भी अदला जमाये बैठे है ।
वो दूर है तो क्या, उनका दिल दिल से लगाये बैठे है । ।
वो लौट कर न आयेगे, फिर भी नज़रे बिछाये बैठे है ।
उनसे मिलने की ललक में, सब कुछ भुलाये बैठे है । ।
आंखो से आँसू इतने गिरे , की समन्दर बनाये बैठे है ।
वो वेरहम है पता है मुझको , फिर भी तेरे सजदे में सर को झुकाये बैठे है । ।
देवता नही है, फिर भी हम सपनो का मंदिर सजाये बैठे है । ।
किस्मत की बात है, दुनिया से खुद को छुपायें बैठे है ।
कैसे बया करे, उन पर हम अपना सब कुछ लुटाये बैठे है । ।
बेरहम है ये दुनिया, फिर भी अदला जमाये बैठे है ।
वो दूर है तो क्या, उनका दिल दिल से लगाये बैठे है । ।
वो लौट कर न आयेगे, फिर भी नज़रे बिछाये बैठे है ।
उनसे मिलने की ललक में, सब कुछ भुलाये बैठे है । ।
आंखो से आँसू इतने गिरे , की समन्दर बनाये बैठे है ।
वो वेरहम है पता है मुझको , फिर भी तेरे सजदे में सर को झुकाये बैठे है । ।
2 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी रचना
ye mohabbat hi aisi chij hai ki ek baar ho jaaye to man mein aashayein ghar kar jaati hain, aur wo na jaane kab tak intajar mein rahta hai...
Achchhi rachana hai.
Dhanyawad
Navnit Nirav
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