लम्हे
वक्त की धरती पर
लम्हों के निशाँ
कभी नहीं बनते !!
लम्हे तो वैसे ही होते है
जैसे समंदर की छाती पर
अलबेली-अलमस्त लहरें
शोर तो बहुत करती आती हैं
मगर अगले ही पल
सब कुछ ........ख़त्म !!
कवि : राजीव जी की रचना
हिंदी साहित्य |
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वक्त की धरती पर
लम्हों के निशाँ
कभी नहीं बनते !!
लम्हे तो वैसे ही होते है
जैसे समंदर की छाती पर
अलबेली-अलमस्त लहरें
शोर तो बहुत करती आती हैं
मगर अगले ही पल
सब कुछ ........ख़त्म !!
कवि : राजीव जी की रचना
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4 टिप्पणियाँ:
सब कुछ ख़त्म ....
लम्बे समय बाद दिखी आपके ब्लॉग पर रचना
मेरा अपना जहान
बहुत सुन्दर लगा आपका ब्लॉग। कविता के साथ एक महत्वपूर्ण सूक्ति भी पढने को मिली। शुक्रिया।
----------
TSALIIM.
-SBA-
lamho ko bhut hi sundar dhang se byakt kiya hai aap ne
किसी शायर ने ठीक ही कहा है-
अक्ल तय करती है लम्हों का सफर सदियों में।
इश्क तय करता है लम्हों में जमाने कितने।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
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