होठो पे हसीं देख ली
होठो पे हसीं देख ली ,दिल में नही देखा ...
यारों ने मेरे गम का समन्दर नही देखा !!
कितनी हसीन है दुनिया ये देखा है आपने ...
मर मर के जीने वालों का मंज़र नही देखा !!
शीशे के मकान तुमने बना तो लिया ए दोस्त ...
लेकिन वक्त के हाथ का पाथर नही देखा !!
रिश्तो के टूटने का दर्द आप क्या समझें ...
वो लम्हा कभी आप ने जी कर नही देखा !!
भटके हो रोशनी कि लिये यूँ दर बदर ...
अफ़सोस की अपनी रूह के अन्दर नही देखा !!
यारों ने मेरे गम का समन्दर नही देखा !!
कितनी हसीन है दुनिया ये देखा है आपने ...
मर मर के जीने वालों का मंज़र नही देखा !!
शीशे के मकान तुमने बना तो लिया ए दोस्त ...
लेकिन वक्त के हाथ का पाथर नही देखा !!
रिश्तो के टूटने का दर्द आप क्या समझें ...
वो लम्हा कभी आप ने जी कर नही देखा !!
भटके हो रोशनी कि लिये यूँ दर बदर ...
अफ़सोस की अपनी रूह के अन्दर नही देखा !!
4 टिप्पणियाँ:
सुन्दर भावपूर्ण रचना. बधाई.
सुन्दर भाव अभिव्यक्ति है
रिश्तों के टूटने का दर्द आप क्या समझें
वो लम्हा कभी आपने जी कर नहीं देखा
भटके हो रोशनी के लिये यूं दर बदर..
अफ़सोस झांक कर रूह के अंदर नहीं देखा
वाक़ई बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल।
और किसी शायर की ये पंक्तियाँ देखिये-
ये फूल मुझे मुझको विरासत में है मिली।
तू ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहनेवाला।
मैं मोम हूँ तू ने मुझे छूकर नहीं देखा।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
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