काली परछाई है ज़िन्दगी
जाने किस मोड़ पर लाई है ज़िन्दगी ।
बस मायूसी ले कर आई है ज़िन्दगी । ।
हर तरफ टूटे हुए रिश्तो की खामोशी है ज़िन्दगी ।
एक बोझ बन के अब तो छाई है ज़िन्दगी । ।
सपना सलोना न कोई ख्वाहिश है ज़िन्दगी ।
चंद सांसो से बनी बारिश है ज़िन्दगी । ।
मौत मंज़िल है जिस मुकाम की ऐसा रास्ता है ज़िन्दगी ।
वक्त की मार से आज मुरझाई है ज़िन्दगी । ।
एक पल को भी चैन और आराम न पाई है ज़िन्दगी ।
मौत से पहले भी कई बार मौत लाई है ज़िन्दगी । ।
न तू साथी है और न ही ज़िन्दगी है जिन्दगी ।
मेरे ही अक्स की काली परछाई है ज़िन्दगी । ।
बस मायूसी ले कर आई है ज़िन्दगी । ।
हर तरफ टूटे हुए रिश्तो की खामोशी है ज़िन्दगी ।
एक बोझ बन के अब तो छाई है ज़िन्दगी । ।
सपना सलोना न कोई ख्वाहिश है ज़िन्दगी ।
चंद सांसो से बनी बारिश है ज़िन्दगी । ।
मौत मंज़िल है जिस मुकाम की ऐसा रास्ता है ज़िन्दगी ।
वक्त की मार से आज मुरझाई है ज़िन्दगी । ।
एक पल को भी चैन और आराम न पाई है ज़िन्दगी ।
मौत से पहले भी कई बार मौत लाई है ज़िन्दगी । ।
न तू साथी है और न ही ज़िन्दगी है जिन्दगी ।
मेरे ही अक्स की काली परछाई है ज़िन्दगी । ।
4 टिप्पणियाँ:
अच्छा प्रयास है-लिखते रहें, शुभकामनाऐं.
ख़ुशी ही खुशी है यहाँ ज़िंदगी में
ग़मों की जगह है कहाँ ज़िंदगी में...
kabhi jo zindgi ka daman hath mein aaye to thaam kar punchhna usse ...ae zindgi aakhir tujhe hua kya hai
aapne man ke bhavon ko bahut achchha ukera hai
बहुत अच्छी रचना है
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तख़लीक़-ए-नज़र । चाँद, बादल और शाम । गुलाबी कोंपलें । तकनीक दृष्टा
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