संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

सोमवार, 11 मई 2009

बेवफाई ही आप की फतरत है


हर तरफ देखिए कितनी मसरूफियत है। 
हर सक्श की अपनी एक मुसीबत है ।।
 
राहे जिन्दगी में मिल तो जाता है सब कुछ । 
बस अपने ही लिये नही मिलती फुरसत है  । । 
 
इस भाग दौड़ भारी ज़िन्दगी में  । 
हर किसी को सब भूल जाने की बुरी आदत है  । । 
 
मेरे कोई बात संजिदगी से न लेना  । 
वेवक्त मजाक करना तो मेरी आदत है  । । 
 
जानते है सब भूल बैठे है हमे  । 
पर सब को याद रखना ही मेरी फतरत है । । 
 
ज़िन्दगी कट रही है रफ्ता रफ्ता  । 
पर मेरी शायरी ही मेरी दौलत है  । । 
 
आज कहते है कि बस अपने लिये ही जीते है  । 
बस तुझे याद करना ही मेरी कुर्बत है   । । 
 
जाने क्यों आप पर भरोसा हो चला है  । 
जब कि हम जानते है कि बेवफाई ही आप की फतरत है  । । 
 

10 टिप्पणियाँ:

Vinay 11 मई 2009 को 2:20 pm बजे  

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल है

---
चाँद, बादल और शाम

बेनामी,  11 मई 2009 को 3:07 pm बजे  

राहे जिन्दगी में मिल तो जाता है सब कुछ ।
बस अपने ही लिये नही मिलती फुरसत है । ।

bahut khoob

मीत 11 मई 2009 को 4:57 pm बजे  

जाने क्यों आप पर भरोसा हो चला है ।
जब कि हम जानते है कि बेवफाई ही आप की फतरत है । ।
बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है, आपने...
अभिवादन स्वीकारें...
मीत

Unknown 12 मई 2009 को 10:58 pm बजे  

aapki likhi kuch lines to aisi lagi jaise bahut dino se humari zubaan se nikalne ki firaq mein thi bas kahin beech mein atki huyi thi. ye ek khoobsurat gazal hai aapki...

NO-MORE 13 मई 2009 को 6:02 pm बजे  

nice gazal abhivykti!!!!
keep it up!!!!

Gursharan 13 मई 2009 को 6:28 pm बजे  

ज़िन्दगी के सच को शबदो में बयां किया हैं आपने, और आगे भी करते रहना

syed naqi haidar 14 मई 2009 को 5:50 pm बजे  

insan की सोच उसके vyaktitv का पता deti है laikain सिर्फ तब जब वो vechar वो सोच shabdon का sahara लेकर insan के दिल से nikle और samne vale के दिल को अपने qabze में ले ले laiakin ये सब तक mumkin है जब ये दिल से nikalne vale शब्द sachai के साथ hon ऐसी sachai जो किसी dvesh और bhedbhav के buniyad पर न हो jsike bad बेvafai का khyal takj न हो

दिगम्बर नासवा 16 मई 2009 को 1:04 am बजे  

पूरी ही ग़ज़ल लाजवाब है............

मेरे कोई बात संजिदगी से न लेना ।
वेवक्त मजाक करना तो मेरी आदत है । ।
ऐसी ही आदतें इंसान को हंसमुख बनाती हैं...........मजाक खुश रहने वाला ही कर सकता है

जानते है सब भूल बैठे है हमे ।
पर सब को याद रखना ही मेरी फतरत है । ।
बहूत ही अच्छी फितरत है........यादें इंसान का संबल होती हैं...........

अनिल कान्त 16 मई 2009 को 12:48 pm बजे  

bewajah majak karna meri aadat hai ..

bhai bade majakiye ho :)

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