संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

बुधवार, 20 मई 2009

अपनों को बुरा बताते नहीं है

कुछ दर्द ऐसे भी होते है ।
जो नज़र आते नहीं है॥

कुछ किस्से ऐसे भी होते है ।
जिन्हें बताते नहीं है॥

चाहे दुःख से छलनी हो सीना ।
फिर भी हम अपने जख्म दिखाते नहीं है ॥

दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है ॥

10 टिप्पणियाँ:

निर्मला कपिला 20 मई 2009 को 6:43 pm बजे  

kuchh dard aise hote hain jo nazar aate nahi-- bahut badiya bhavabhiviakti hai badhai

Udan Tashtari 20 मई 2009 को 8:16 pm बजे  

दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है ॥

-बहुत सही!!

अनिल कान्त 20 मई 2009 को 9:15 pm बजे  

kya baat hai

dard humesha khud tak hi seemit rakhna chahiye ...

tabhi insaan chhipata bhi hai

Himanshu Pandey 20 मई 2009 को 10:08 pm बजे  

बेहतर रचना के लिये आभार ।

श्यामल सुमन 21 मई 2009 को 5:54 pm बजे  

भावपूर्ण रचना। कम शब्द गहरी बात। वाह। कहते हैं कि-

हर बार अपना दर्द बताना नहीं अच्छा।
और जख्म हैं ऐसे कि छुपाना नहीं अच्छा।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Desk Of Kunwar Aayesnteen @ Spirtuality 22 मई 2009 को 4:28 pm बजे  

Gargi jee,
Aapki Bhavna se mai sahmat hoon..Aur ye bhi kahana chahta hoon ki ye dukh sukh se adhik sahayak hota hai ek ensan ke liye..So jo bhi mile sabka samman hai..

मीत 22 मई 2009 को 6:00 pm बजे  

दर्द कितना भी दे कोई ।
अपनों को बुरा बताते नहीं है.
वाह! वाह!
अच्छा लिख रहीं है,.
मीत

alfaz 26 मई 2009 को 6:29 pm बजे  

आपने एक कारगर रचना लिखी हैं , दर्द....एक अज़ीम रचना ।

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) 11 जून 2009 को 12:52 pm बजे  

भावः पूर्ण रचना दिल को छू लिया
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

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