खुशी बूंद होती है नूर की
क्या कहे तेरी मनमोहक खूबसूरती।
तू इस रूप में लग रहा है खुशी का मूर्ति।।
उन्मद नाच रहा है खुशी में ।
क्या हो गई है तेरे भी किसी अभिलाषा की पूर्ति।।
चंचल सा मन है सुनता कहा है ।
बस हर तरफ है तेरी ही अनुभति।।
खोले है बाहे जाने किस को पुकार ।
मंज़िल करीब है जो बहुत दूर थी।।
चंचल है चितबन चाँदनी सा वदन ।
नचे है छम छम देखो खुशी इस मयूर की ।।
आज खुश हो ले काल के भरोसा नही है।
खुशी बूंद होती है नूर सी ।।
8 टिप्पणियाँ:
निश्चित ही आपका मन बहुत सुंदर है जो इतनी सुंदर अभिव्यक्ति निकली है इस मन से... बहुत सुंदर शब्दों के साथ...
आभार
मीत
humara man bhi isi mayoor ki tarah hota hai ...jo bekhauf hokar kabhi kabhi nachne lagta hai
aapne bahut khoobsurat rachna ki hai
bhavmay abhivyakti
चंचल है चितबन चाँदनी सा वदन ।
नचे है छम छम देखो खुशी इस मयूर की ।।
मन के komal bhaavon से likhi sundar rachnaa है..............
nam vakai mayour सा naach uthaa...............
सुंदर अभिव्यक्ति..
waah..........kyaa baat hai...keep it up.....!!
achchhi rachan hai.Bahut pasand aayi
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