मुझे मनाने आओगे ना
मुझे मनाने आओगे ना
अनजाने से दर्द की प्यास बुझाओगे ना
मेरे सिरहाने मुझे मनाने आओगे ना
एक बाल-सुलभ है दिल मेरा
तुम बिन रिक्त है दिल मेरा
एक प्रेम कुटी बनवाओगे
तुम मुझसे मिलने आओगे ना
मै प्रेम पथिक परवाज रहूँ
तुम सरल सौम्य आगाज़ रहो
तुम सुरा बनो जब यौवन की
तुम मेरे दिल में छाओगे ना
तुम बनना मेरी परम मित्र
तुम मेरा आधा रूप रहो
जब कोमल प्रेम गुलाब बनो
तुम मेरा दिल महकाओगे ना
तुम जीवन दर्शन बन जाना
तुम मेरा जीवन बन जाना
तुम रहना दुर्लभ दुनिया को.. पर
तुम मेरा दिल महकाओगे ना
जब तनहा रहूँगा मै प्रियतम
तुम मुझे गले से लगाओगे ना ,,
अनजाने से दर्द की प्यास बुझाओगे ना
मेरे सिरहाने मुझे मनाने आओगे ना
एक बाल-सुलभ है दिल मेरा
तुम बिन रिक्त है दिल मेरा
एक प्रेम कुटी बनवाओगे
तुम मुझसे मिलने आओगे ना
मै प्रेम पथिक परवाज रहूँ
तुम सरल सौम्य आगाज़ रहो
तुम सुरा बनो जब यौवन की
तुम मेरे दिल में छाओगे ना
तुम बनना मेरी परम मित्र
तुम मेरा आधा रूप रहो
जब कोमल प्रेम गुलाब बनो
तुम मेरा दिल महकाओगे ना
तुम जीवन दर्शन बन जाना
तुम मेरा जीवन बन जाना
तुम रहना दुर्लभ दुनिया को.. पर
तुम मेरा दिल महकाओगे ना
जब तनहा रहूँगा मै प्रियतम
तुम मुझे गले से लगाओगे ना ,,
कवि : ''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना
9 टिप्पणियाँ:
अजीत जी आप के इस योगदन के लिए बहुत बहुत आभार! :)
दिल का गहराइयों से निकली सुन्दर रचना।
बधाई।
प्रेम से भरी सुंदर रचना....
बहुत अच्छी लगी...
मीत
मन के भावों का सुंदर अंकन।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
दिल की अभिव्यक्ति है शब्दों के माध्यम से......
सुन्दर रचना........
सुन्दर रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सुन्दर रचना है।बधाई।
hay hay..............maar dala................
bahut bachha !
shukriya,, aap sabhi k,,,,,,,,,,,,
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