जो छूट गई है दुनिया में
जो छूट गई है दुनिया में,, मेरी ही कुछ हस्ती थी
साहिल छोर के दरिया डूबी , मजबूत बड़ी वो कश्ती थी
उनका घर तो रौशन था पर डर था सबके चेहरे पर
एक उनके घर में रौनक थी और जलती सारी बस्ती थी
कुछ जिन्दा और मुर्दा लड़ते अल्लाह ईश के नाम पर
खामोशी मजबूरी थी कुछ जान यहाँ पर सस्ती थी
तूफानों को रंज बहुत था और चरागाँ जलते थे
कुछ अरमानो की दुनिया थी कुछ मौत यहाँ पर हस्ती थी
दिल लाख छुपाओ ताले में कोई चोर चुरा ले जायेगा
हैं लुटे घरौंदे रोज वहीँ पर जहाँ पुलिस की गस्ती थी,,,,,,
कवि : ''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना
14 टिप्पणियाँ:
अजीत जी ने कुछ अच्छे शेर कहे हैं। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
उनका घर तो रौशन था पर डर था सबके चेहरे पर
एक उनके घर में रौनक थी और जलती सारी बस्ती थी
वाह...बेहतरीन रचना...
नीरज
कुछ जिन्दा और मुर्दा लड़ते अल्लाह ईश के नाम पर
खामोशी मजबूरी थी कुछ जान यहाँ पर सस्ती थी
सुन्दर रचना बधाई
भाव से परिपूर्ण रचना ,
अति सुंदर
aap sabhi ko bahut bahut dhanyawad
बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति!
achchhe shero ke liye badhai
बढ़िया है.
Bahut khoob,,,, akhri line bahut hi umda likhi hain apne.
"उनका घर तो रौशन था पर डर था सबके चेहरे पर,
एक उनके घर में रौनक थी और जलती सारी बस्ती थी"
रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
जो छूट गई है दुनिया में,, मेरी ही कुछ हस्ती थी
साहिल छोर के दरिया डूबी , मजबूत बड़ी वो कश्ती थी....बहुत खबसूरत रचना....
aap sabhi ko bahut bahut dhanyawad,,,
bahut achha likha hai...khyaalat kamaal ke hai aur unko shabd bhi badi adaa se diye hai aapne...
कुछ अरमानो की दुनिया थी कुछ मौत यहाँ पर हस्ती थी
bs is pankti me kuch kamee lag rahee hai,ispe zara gaur kijiyegaa...
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सुंदर रचना है अजित जी ...
मीत
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