मुझे जवाब दो
जूनून क्या था
तुझे पाकर तुझमे मेरा डूब जाना
की तुम्हे खोकर
शराब में मेरी हस्ती डूब जाना
जूनून क्या है
वो तेरे आने से पहले मेरा आवारा होना
की तेरे जाने के बाद
मेरा अपने घर में बंजारा होना
जूनून किसको कहूँ
तुम्हारे आने को
तुम्हारे जाने को
की तुम्हारे बाद सब भूल जाने को
बताओ मुझे ,,
मुझे जवाब दो
तुझे पाकर तुझमे मेरा डूब जाना
की तुम्हे खोकर
शराब में मेरी हस्ती डूब जाना
जूनून क्या है
वो तेरे आने से पहले मेरा आवारा होना
की तेरे जाने के बाद
मेरा अपने घर में बंजारा होना
जूनून किसको कहूँ
तुम्हारे आने को
तुम्हारे जाने को
की तुम्हारे बाद सब भूल जाने को
बताओ मुझे ,,
मुझे जवाब दो
कवि : ''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना
8 टिप्पणियाँ:
bahut hi umda rachna...is tarah bhavon ki abhivyakti mujhe loobhati hai.
bhai waah waah
bahut khoob !
बहुत ही सुन्दर रचना पढ़वाई ...आभार...
waah kya baat hai
waah !!
अच्छा लिखा है आपने । भाव और विचारों की प्रभावशाली अभिव्यिक्ति रचना को सशक्त बनाती है ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
सर्वप्रथम आपका स्वागत करना चाहूंगा "हमसफ़र यादों का......." की मित्र-मंडली में......
आपके इस ब्लॉग पर मेरा पहला कदम है.....ब्लॉग की पठन सामग्री के साथ-साथ देखने में भी काफ़ी अच्छा है आपका ब्लॉग.....
अजीत त्रिपाठी जी की नज़्म बहुत पसंद आई.....पढ़वाने के लिए धन्यवाद.......पधारती रहिएगा....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
Achee rachnaa hai........... lajawaab
shukriya aap sabhi ka
एक टिप्पणी भेजें