संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

शुक्रवार, 5 जून 2009

मुझे जवाब दो

जूनून क्या था
तुझे पाकर तुझमे मेरा डूब जाना
की तुम्हे खोकर
शराब में मेरी हस्ती डूब जाना

जूनून क्या है
वो तेरे आने से पहले मेरा आवारा होना
की तेरे जाने के बाद
मेरा अपने घर में बंजारा होना

जूनून किसको कहूँ
तुम्हारे आने को
तुम्हारे जाने को
की तुम्हारे बाद सब भूल जाने को

बताओ मुझे ,,
मुझे जवाब दो
 
 
कवि : ''अजीत त्रिपाठी''  जी की रचना 

8 टिप्पणियाँ:

Neha 6 जून 2009 को 5:57 pm बजे  

bahut hi umda rachna...is tarah bhavon ki abhivyakti mujhe loobhati hai.

अजय कुमार झा 6 जून 2009 को 7:48 pm बजे  

बहुत ही सुन्दर रचना पढ़वाई ...आभार...

Dr. Ashok Kumar Mishra 7 जून 2009 को 12:16 am बजे  

अच्छा लिखा है आपने । भाव और विचारों की प्रभावशाली अभिव्यिक्ति रचना को सशक्त बनाती है ।

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

बेनामी,  7 जून 2009 को 1:10 am बजे  

सर्वप्रथम आपका स्वागत करना चाहूंगा "हमसफ़र यादों का......." की मित्र-मंडली में......
आपके इस ब्लॉग पर मेरा पहला कदम है.....ब्लॉग की पठन सामग्री के साथ-साथ देखने में भी काफ़ी अच्छा है आपका ब्लॉग.....
अजीत त्रिपाठी जी की नज़्म बहुत पसंद आई.....पढ़वाने के लिए धन्यवाद.......पधारती रहिएगा....

साभार
हमसफ़र यादों का.......

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