संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

शनिवार, 5 सितंबर 2009

आपको मेरा नमन है.....!!!

यह कविता में अपने गुरुओ के लिये लिख रही हूँ , आज में जो कुछ भी हूँ बस उनकी ही कॄपा है। ईश्वर से प्रार्थना है की उनका हाथ सदा मेरे सर पर रहे।



मैं थी शिशु
अज्ञान - अबोध - अचेतन
सभी से अन्भिज्ञा थी मैं
उसने अपनों से परिचित कराया
जीवन की पाठशाला का
उसी से पहला पाठ पाया
प्रथम गुरु !! सर्वोच्च माता को मेरा नमन है ।

पशुतव से जो मनात्तव तक ले आये
आप ज्ञान के दर्पण हो
आपको मेरा नमन है ।

अपने ही भावो को व्यक्त करना सिखाया
आप शब्द दाता है
आपको मेरा नमन है ।

अज्ञान के तिमिर को हर कर
जो ज्ञान दीप आपने जलाये
आपको मेरा नामन है ।

आप स्वयं जले "पर" की खातिर
जीवन में ज्ञान के जुगनू जलाये
आपको मेरा नामन है ।

आप मेरे जीवन में मेरूदंड बन कर खड़े है
हर क्षण मुझे रास्ता दिखाये, आप वो दिये हो
आपको मेरा नामन है।

आप बिन जीवन कैसा जीवन
कल्पना करना कठिन है
कल्पना करना सिखाया
आपको मेरा नमन है ।

अंधेरी ज़िन्दगी में
ज्ञान की किरणे बिखेरी
कभी प्यार कभी फटकार से
जीवन की बगिया सहेजी
आप बागवान हो
आप को मेरा नामन है।

जहाँ भी हुआ अंधेरा
आप बन कर प्रभात आये
अपने साथ अक्षय ज्ञान रत्नो की सौगात लाये
क्या है ये संसार हम जान पाये
आपको मेरा नमन है।

मेरे जीवन में सदा
आप का दर्जा प्रथम है
ईश्वर के उस अंश को
मेरा नमन
शत-शत नमन है .....!!

4 टिप्पणियाँ:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 5 सितंबर 2009 को 5:21 pm बजे  

गुरु के प्रति एक शिष्य की सार्थक सोच, प्रसंशनीय ! मगर उम्मीद है, यह सिर्फ शिक्षक दिवस तक ही सीमित न रहे ! और काश, आज के सभी गुरु शिष्य इसी लाईन में सोच पाते !!!

संगीता पुरी 5 सितंबर 2009 को 5:32 pm बजे  

बहुत सुंदर भावना .. बहुत अच्‍छी रचना .. बधाई !!

Mithilesh dubey 5 सितंबर 2009 को 9:30 pm बजे  

बहुत सुंदर भावना बहुत अच्‍छी रचना, बधाई,,,,

ओम आर्य 6 सितंबर 2009 को 3:04 pm बजे  

आपको मेरा नमन है ........बहुत ही सुन्दर रचना की रचना करी है आपने ......बहुत बहुत बधाई

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