आपको मेरा नमन है.....!!!
यह कविता में अपने गुरुओ के लिये लिख रही हूँ , आज में जो कुछ भी हूँ बस उनकी ही कॄपा है। ईश्वर से प्रार्थना है की उनका हाथ सदा मेरे सर पर रहे।
मैं थी शिशु
अज्ञान - अबोध - अचेतन
सभी से अन्भिज्ञा थी मैं
उसने अपनों से परिचित कराया
जीवन की पाठशाला का
उसी से पहला पाठ पाया
प्रथम गुरु !! सर्वोच्च माता को मेरा नमन है ।
पशुतव से जो मनात्तव तक ले आये
आप ज्ञान के दर्पण हो
आपको मेरा नमन है ।
अपने ही भावो को व्यक्त करना सिखाया
आप शब्द दाता है
आपको मेरा नमन है ।
अज्ञान के तिमिर को हर कर
जो ज्ञान दीप आपने जलाये
आपको मेरा नामन है ।
आप स्वयं जले "पर" की खातिर
जीवन में ज्ञान के जुगनू जलाये
आपको मेरा नामन है ।
आप मेरे जीवन में मेरूदंड बन कर खड़े है
हर क्षण मुझे रास्ता दिखाये, आप वो दिये हो
आपको मेरा नामन है।
आप बिन जीवन कैसा जीवन
कल्पना करना कठिन है
कल्पना करना सिखाया
आपको मेरा नमन है ।
अंधेरी ज़िन्दगी में
ज्ञान की किरणे बिखेरी
कभी प्यार कभी फटकार से
जीवन की बगिया सहेजी
आप बागवान हो
आप को मेरा नामन है।
जहाँ भी हुआ अंधेरा
आप बन कर प्रभात आये
अपने साथ अक्षय ज्ञान रत्नो की सौगात लाये
क्या है ये संसार हम जान पाये
आपको मेरा नमन है।
मेरे जीवन में सदा
आप का दर्जा प्रथम है
ईश्वर के उस अंश को
मेरा नमन
शत-शत नमन है .....!!
मैं थी शिशु
अज्ञान - अबोध - अचेतन
सभी से अन्भिज्ञा थी मैं
उसने अपनों से परिचित कराया
जीवन की पाठशाला का
उसी से पहला पाठ पाया
प्रथम गुरु !! सर्वोच्च माता को मेरा नमन है ।
पशुतव से जो मनात्तव तक ले आये
आप ज्ञान के दर्पण हो
आपको मेरा नमन है ।
अपने ही भावो को व्यक्त करना सिखाया
आप शब्द दाता है
आपको मेरा नमन है ।
अज्ञान के तिमिर को हर कर
जो ज्ञान दीप आपने जलाये
आपको मेरा नामन है ।
आप स्वयं जले "पर" की खातिर
जीवन में ज्ञान के जुगनू जलाये
आपको मेरा नामन है ।
आप मेरे जीवन में मेरूदंड बन कर खड़े है
हर क्षण मुझे रास्ता दिखाये, आप वो दिये हो
आपको मेरा नामन है।
आप बिन जीवन कैसा जीवन
कल्पना करना कठिन है
कल्पना करना सिखाया
आपको मेरा नमन है ।
अंधेरी ज़िन्दगी में
ज्ञान की किरणे बिखेरी
कभी प्यार कभी फटकार से
जीवन की बगिया सहेजी
आप बागवान हो
आप को मेरा नामन है।
जहाँ भी हुआ अंधेरा
आप बन कर प्रभात आये
अपने साथ अक्षय ज्ञान रत्नो की सौगात लाये
क्या है ये संसार हम जान पाये
आपको मेरा नमन है।
मेरे जीवन में सदा
आप का दर्जा प्रथम है
ईश्वर के उस अंश को
मेरा नमन
शत-शत नमन है .....!!
4 टिप्पणियाँ:
गुरु के प्रति एक शिष्य की सार्थक सोच, प्रसंशनीय ! मगर उम्मीद है, यह सिर्फ शिक्षक दिवस तक ही सीमित न रहे ! और काश, आज के सभी गुरु शिष्य इसी लाईन में सोच पाते !!!
बहुत सुंदर भावना .. बहुत अच्छी रचना .. बधाई !!
बहुत सुंदर भावना बहुत अच्छी रचना, बधाई,,,,
आपको मेरा नमन है ........बहुत ही सुन्दर रचना की रचना करी है आपने ......बहुत बहुत बधाई
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