संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

शामिल है.

लहू पहाड़ के दिल का, नदी में शामिल है,
तुम्हारा दर्द हमारी ख़ुशी में शामिल है.
तुम अपना दर्द अलग से दिखा न पाओगे,
तेरा जो दर्द है वो मुझी में शामिल है.

गुजरे लम्हों को मैं अक्सर ढूँढती मिल जाऊँगी,
जिस्म से भी मैं तुम्हे अक्सर जुदा मिल जाऊँगी.
दूर कितनी भी रहूँ, खोलोगे जब भी आँख तुम,
मैं सिरहाने पर तुम्हारे जागती मिल जाऊँगी.
घर के बाहर जब कदम रखोगे अपना एक भी,
बनके मैं तुमको तुम्हारा रास्ता मिल जाऊँगी.
मुझपे मौसम कोई भी गुज़रे ज़रा भी डर नहीं,
खुश्क टहनी पर भी तुमको मैं हरी मिल जाऊँगी.
तुम ख्यालों में सही आवाज़ देके देखना,
घर के बाहर मैं तुम्हें आती हुई मिल जाऊँगी.
गर तसब्बुर भी मेरे इक शेर का तुमने किया,
सुबह घर कि दीवारों पर तुम्हें लिखी हुई मिल जाऊँगी।

कवि : 'बीती ख़ुशी' जी की रचना

7 टिप्पणियाँ:

उम्मीद 11 सितंबर 2009 को 4:27 pm बजे  

'बीती ख़ुशी' जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन

संजय तिवारी 11 सितंबर 2009 को 6:35 pm बजे  

लेखनी प्रभावित करती है.

alfaz 11 सितंबर 2009 को 7:06 pm बजे  

ek sundar rachna shabdo ke oti mein piroi hui.
manmohit.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 11 सितंबर 2009 को 7:57 pm बजे  

"लहू पहाड़ के दिल का, नदी में शामिल है,
तुम्हारा दर्द हमारी ख़ुशी में शामिल है."

वाह...वाह...।
बहुत बढ़िया शेर हैं।
बधाई।

vandana gupta 12 सितंबर 2009 को 11:57 am बजे  

gazab ke bhav.........behtreen

read my new blog----http://ekprayas-vandana.blogspot.com

Mishra Pankaj 12 सितंबर 2009 को 12:42 pm बजे  

वाह...वाह...।
बहुत बढ़िया शेर हैं।
बधाई।

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