सो जा ......
सो जा ......सो जा ......हो सो जा
राजदुलारे .......सो जा .....हो सो जा .......
तेरी चंदा जैसी माता
तेरे पिता है विधाता
और तू है सब की आँखों का तारा
सो जा ......सो जा ......हो सो जा
राजदुलारे .......सो जा .....हो सो जा .......
तेरे नन्ही नन्ही आंखे
इनमें सपने कितने सरे
इन सपनो में कही तू खो जा
सो जा ......सो जा ......हो सो जा
राजदुलारे .......सो जा .....हो सो जा .......
ला ला .....हम्म ....ला ला ......ला ला .....हम्म ....ला ला
ला ला .....हम्म ....ला ला .....ला ला .....हम्म ....ला ला
7 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया लोरी लगाई है, आपने।
बधाई!
काश ये लोरी आप पहले रच देतीं और मैं अपने बचपन में अपनी माँ से इसे सुन के नींद के आगोश में पहुँच जाया करता.
कविता कहानी तो सब लिखते हैं एक नयी दिशा में कलम घुमाने के लिए शुक्रिया एवं सुन्दर रचना बनाने पर बधाई.
इतनी प्यारी लोरी सुन के तो हर किसी को नींद आ जायेगी. बचपन की याद आ गयी, सबसे बेफिक्र दौर था ज़िन्दगी का. बहुत ही मासूमियत से लिखी गयी रचना. बधाई.
प्यारी सी लोरी,
चन्दा मामा से नानी की कहानी,माँ के आँचल का प्यार सबकुछ सहला दुलारा है इस रचना में आपने...!
पहली बार आपके ब्लॉग पर आया... अब शायद छोड़ के जा न पाऊं....!!!
बधाई....!!!
http://nayikalam.blogspot.com/
sundar,mamtamayi aur shital rachna bilkul ma ki lori ki tarah,man ko bachpna sa pulkit karne ke liye sadhoowaad..durga pujaa ki shubh kamnao ke saath.
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