मुश्किलें......!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जिनके हाथ इतने मजबूत हैं कि
तोड़ सकते हैं जो किसी भी गर्दन....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जो कर रहे हैं हर वक्त-
किसी ना किसी का.....
या सबका ही जीना हराम....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जिनके लिए जीवन एक खेल है...
किसी को मार डालना ......
उनके खेल का इक अटूट हिस्सा !!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जो देश को कुछ भी नहीं समझते...
और देश का संविधान....
उनके पैरों की जूतियाँ....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जो सब कुछ इस तरह गड़प कर रहे हैं...
जैसे सब कुछ उनके बाप का हो.....
और भारतमाता !!........
जैसे उनकी इक रखैल.....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जिनको बना दिया गया है...
इतना ज्यादा ताकतवर.....
कि वो उड़ा रहे हैं हर वक्त.....
आम आदमी की धज्जियाँ.....
और क़ानून का सरेआम मखौल.....!!
...........दरअसल ये मुश्किलें......
हम सबके ही साथ हैं.....
मगर मुश्किल यह है....
कि..............
हमें जिनके साथ जीने में.....
अत्यन्त मुश्किलें हैं.....
उनको.........
कोई मुश्किल ही नहीं......!!??
कवि : राजीव जी की रचना
13 टिप्पणियाँ:
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
उम्दा अभिव्यक्ति .........
क्या सही बात कही है राजीव जी ने बहुत सुन्दर आभार्
sunder rachana.
बहुत अच्छी रचना है
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विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
राजीव जी की सुन्दर रचना
प्रकाशित करने के लिए बधाई।
very nice....
keep it up...
प्रेरेना भरी रचना , अत्यंत सुन्दर.
janaab
saty aur sarthak rachana par badhaai sweekaren
bhut hi sunder kavita hai gar hum apni sahi muskilo par apna dhyan krndret kar le to muskile khatam hote der nahi lagegi
saadar
praveen pathik
9971969084
bhut hi sunder kavita hai gar hum apni sahi muskilo par apna dhyan krndret kar le to muskile khatam hote der nahi lagegi
saadar
praveen pathik
9971969084
हम्म...........बढ़िया है...
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
मगर मुश्किल यह है....
कि..............
हमें जिनके साथ जीने में.....
अत्यन्त मुश्किलें हैं.....
उनको.........
कोई मुश्किल ही नहीं......!!??
-बहुत सुन्दर.
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