जो करनी हो मोहब्बत
जो करनी हो मोहब्बत
जो करनी हो मोहब्बत तो ,बेवजा करना
और जो हो जाये तो डूबकर ,रजा करना
मै करूँ गलतियाँ जो मचल जाओ तुम
लुत्फ़-ऐ-दीदार करना और ,मजा करना
तुम्हारी खैरियत मेरी जिम्मेदारी रहेगी
मेरे लिए अपनी ही नमाज़ ,अजां करना
रूठना तो रोना गले लगकर, मना लूँगा
दूर होकर दिल-ऐ-नादान को ना सजा करना
कभी हो मौका तो आ जाना और लिपट जाना
रश्म-ओ-रिवाज से एक बार दगा करना
सुनो गर ना रहूँ शरीक-ऐ-जन्नत हो जाऊँ
मुस्कुराना और मोहब्बत का फ़र्ज़ अदा करना
अगर ऐसे ही छोड़ जाऊँ दुनिया मै ''अजीत''
कफ़न में आँचल रख आगोश-ऐ-कज़ा करना
जो करनी हो मोहब्बत तो ,बेवजा करना
और जो हो जाये तो डूबकर ,रजा करना
मै करूँ गलतियाँ जो मचल जाओ तुम
लुत्फ़-ऐ-दीदार करना और ,मजा करना
तुम्हारी खैरियत मेरी जिम्मेदारी रहेगी
मेरे लिए अपनी ही नमाज़ ,अजां करना
रूठना तो रोना गले लगकर, मना लूँगा
दूर होकर दिल-ऐ-नादान को ना सजा करना
कभी हो मौका तो आ जाना और लिपट जाना
रश्म-ओ-रिवाज से एक बार दगा करना
सुनो गर ना रहूँ शरीक-ऐ-जन्नत हो जाऊँ
मुस्कुराना और मोहब्बत का फ़र्ज़ अदा करना
अगर ऐसे ही छोड़ जाऊँ दुनिया मै ''अजीत''
कफ़न में आँचल रख आगोश-ऐ-कज़ा करना
कवि : ''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना
16 टिप्पणियाँ:
तुम्हारी खैरियत मेरी जिम्मेदारी रहेगी
मेरे लिए अपनी ही नमाज़ ,अजां करना
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
किसी एक दो लाईण खे लिये कहूँगी तो पूरी रचना से इन्सफ नहीं होगा बहुत ही लाजवाब लिखा है बधाई
अच्छी रचना है.
नीरज
'रस्मों-रिवाज़ से एक बार दगा करना...' बहुत सुन्दर ! लाजवाब !! निर्मला कपिला जी ने बिलकुल ठीक कहा है, हर शेर माशाल्लाह ! क्या बात है ! दाद देता हूँ त्रिपाठीजी !! और, गार्गीजी को बेहतरीन रचना परोसने का शुक्रिया !
bahut hi sundar abhiwyakti.....badhaaee
अच्छी रचना पढ़वाने के लिए आभार
अजीत जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन
आप की ये रचना मान को छू कर सीधे आत्मा तक पुच गई .......भुत ही सुन्दर भाव
very nicely composed and expressed....
keep rolling gargi ji...
thanks
http://shayarichawla.blogspot.com/
behad khubsurti se prem path racha gaya hai........ bhut hi sundar rachna hai
तुम्हारी खैरियत मेरी जिम्मेदारी रहेगी
मेरे लिए अपनी ही नमाज़ ,अजां करना
क्या बात है !वाह!
dhanyawaad aap sabhi ko
aapki sarahana aur prtsahan srijan ke marg par sada hi mera margdarshan karega,,,,,,,,,
gargi ji
is rachana ko yahan rakhne ke liye
mai hriday se aapka aabhari hun
aise hi sneh banaaye rakhen
behad khoobsoorat rachna...aabhaar
''अजीत त्रिपाठी'' जी का सुझाव अच्छा है।
इसे पढ़वाने के लिए आपका आभार।
बहुत अच्छी रच्ना है!
बेमिसाल, लाजवाब, जैसे शब्द भी कम आपकी इस रचना के लिए, अति सुन्दर ............
aap sabhi ka bahut bahut aabhar
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