संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

गुरुवार, 30 जुलाई 2009

मुझे भी महजबी अपना गुलाम कर दे

बिखरा के जुल्फे फ़िर शाम कर दे
कुछ हसी पल आज मेरे नाम कर दे

मुद्दत से बहता है ये दरिया बनकर
अपने होठो से छूकर इसे जाम कर दे

अब तलक छुपा रखा है जो हिजाब मे
उठाकर परदा जलवा- ऐ-आम कर दे

कैद कर जलवा-ऐ-हुस्न की जंजीर से
मुझे भी महजबी अपना गुलाम कर दे
 
कवि: रोहित कुमार "मीत"  जी की रचना

8 टिप्पणियाँ:

उम्मीद 30 जुलाई 2009 को 12:10 pm बजे  

रोहित कुमार "मीत" जी, आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन

उम्मीद 30 जुलाई 2009 को 12:10 pm बजे  

रोहित कुमार "मीत" जी, आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन

सदा 30 जुलाई 2009 को 12:48 pm बजे  

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

ओम आर्य 30 जुलाई 2009 को 5:06 pm बजे  

बहुत ही सुन्दर रचना है भाई आपने तो ऐसे ही गुलाम कर दिया क्या बात है ..........बहुत सुन्दर गढी है कविता ......गीत के भांति सुर और ताल मे पढ डाली ......शुक्रिया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 30 जुलाई 2009 को 6:34 pm बजे  

वैसे भी हम आजाद कहाँ है?

रचना बहुत ही सुन्दर है।
मीत जी को शुभकामनाएँ।
आपको धन्यवाद।

ajitji 31 जुलाई 2009 को 1:37 pm बजे  

अब तलक छुपा रखा है जो हिजाब मे
उठाकर परदा जलवा- ऐ-आम कर दे..
bahut hi sundar sher kahen hain
aapne,,,,,,,, sundar prastuti ke liye badhaai

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