संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

आदमी


हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तणियोन का शिकार आदमी ।

रोज़ जीता हुआ, रोज़ मारता हुआ,
ज़िन्दगी से लड़ता हुआ आदमी ।

सब कुछ छूट जायेगा यही पर ,
मोह माया में जीता हुआ आदमी।

आपनि मंज़िल से हैं अनजान हैं आदमी ,
फिर भी मुसाफ़िर हैं यह आदमी ।

मिलता हैं रोज़ एक नया आदमी ,
लेकिन जीवन की दगर पे ,

हर पल अकेला आदमी । 
हर पल अकेला आदमी । 
 
कवि :  भाई गुरशरण जी की रचना

13 टिप्पणियाँ:

उम्मीद 31 जुलाई 2009 को 4:05 pm बजे  

भाई गुरशरण, आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन

Unknown 31 जुलाई 2009 को 5:26 pm बजे  

गार्गी आपका प्रयास बहुत ही अच्छा लगा । एक मंच पर हिन्दी साहित्य के विविध रंग देखते हुए खुश हूं । गुरशरण जी की रचना आज " हिन्दी साहित्य मंच " पर भी प्रकाशित है ।यहां देखें-http://hindisahityamanch.blogspot.com/2009/07/blog-post_31.html । बधाई

M VERMA 31 जुलाई 2009 को 5:34 pm बजे  

अकेलेपन का यह एहसास ही तो आदमी को भीड से अलग करती है
बहुत अच्छी रचना

ओम आर्य 31 जुलाई 2009 को 5:56 pm बजे  

bahut hi sahi bat kahi hai .....aadami to akela hai....

Vinay 31 जुलाई 2009 को 8:04 pm बजे  

बहुत ही सुन्दर रच्ना!

अनिल कान्त 31 जुलाई 2009 को 8:09 pm बजे  

आजकल आप अच्छी अच्छी रचनायें पढ़वा रही हैं ...वाह

महेन्द्र मिश्र 31 जुलाई 2009 को 8:26 pm बजे  

बहुत ही सुन्दर अच्छी रचना . बधाई.

Dr. Ashok Kumar Mishra 1 अगस्त 2009 को 12:47 am बजे  

अच्छा लिखा है आपने । भाव, विचार और सटीक शब्दों के चयन से अभिव्यक्ति बड़ी प्रखर हो गई है। -

http://www.ashokvichar.blogspot.com

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) 1 अगस्त 2009 को 8:35 am बजे  

ये ग़ज़ल सिर्फ इक अन्य ग़ज़ल,जिसे जगजीत सिंह ने गया है,से अभिप्रेरित है,बल्कि दो शेरों से इक-इक शब्द बदल-बदल कर ज्यों-का-त्यों रख दिया गया है !!ऐसा महसूस होते ही बाकी के शरों का प्रभाव अपने-आप ही का लगने लगता है,लेखक को चाइये कि बेशक वो किसी से प्रेरित हो,मगर उससे आगे वो अपनी ही सोच में सोहे,भले वो थोडी-सी उन्नीस रचना क्यों ना ठहरे,,,,!!

ajitji 2 अगस्त 2009 को 12:16 pm बजे  

sateek shabdon me sarthak rachana,,
badhaai aapko

Dipak 'Mashal',  18 अगस्त 2009 को 4:12 am बजे  

main bhootnath ji se sahmat hoon.

Blog Widget by LinkWithin
" अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का , यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है…."
अपनी रचनाएं ‘अभिव्यक्ति' में प्रकाशित करें रचनाकारों से अनुरोध है कि 'अभिव्यक्ति' में अपनी रचना के निःशुल्क प्रकाशन हेतु वे समसामयिक रचनाएं जैसे - राजनैतिक परिदृश्य, स्वास्थ्य, जीवन, भावनात्मक संबंधों जैसे- दोस्ती, प्यार, दिल कि बातें आदि से सम्बन्धित लेख, कहानी, कविता, गज़ल व चुटकले आदि भेज सकते हैं. भेजी गयी रचनाएं मौलिक, अप्रकाशित और स्वरचित होनी चाहिए । रचनाएं यूनिकोड में ही स्वीकार्य होंगी । आप की स्वीकृत रचनाएँ आप के नाम के साथ ‘अभिव्यक्ति' में प्रकाशित की जायेंगी। रचनाएं ई-मेल द्वारा भेजी जा सकती हैं । ई-मेलः gargiji2008@gmail.com
"इस ब्लॉग पर पधारने के लिये आप का सहर्ष धन्यवाद"
यहाँ प्रकाशित रचनाओं, विचारों, लेखों-आलेखों और टिप्पणियों को इस ब्लॉग व ब्लॉग लेखक के नाम के साथ अन्यत्र किसी भी रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। (Reproduction allowed in any form strictly with the name of the Blog & Bloger.)

View My Stats

  © Blogger templates Psi by Ourblogtemplates.com 2008

Back to TOP