दीवाना हूँ , जिन्दगी का तरफदार नहीं हूँ
यही रंग है मेरा मै अदाकार नहीं हूँ
बस बदनाम हूँ मै कलाकार नहीं हूँ
जाओ छोड़ते मुझे हो तो जाओ
बेमुरव्वत नहीं पर मै वफादार नहीं हूँ
तुमने फेंके होंगे पत्थर तोड़ने दिल
फिर भी सम्भला हूँ मै तारतार नहीं हूँ
तुम्हारी कदर है मुझे मगर फिर भी
बिन तुम्हारे खुश हूँ मै बेकार नहीं हूँ
तुमसे मोहब्बत का सिला मै जनता हूँ
पर दीवाना हूँ जिन्दगी का तरफदार नहीं हूँ
''अजीत त्रिपाठी'' जी की रचना
11 टिप्पणियाँ:
अजीत जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन
tarafdar ke liye tarif hi niklegi.
bahut khub.
bahut umdaa ghazal..........
bahut khoob ghazal...........
______badhaai!
Gargi ji,aapke sahyog se ajit ji ki itani sundar rachana padhane ko mili...bahut bahut dhanywaad..
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
( Treasurer-S. T. )
bahut hi sundar bhaaw hai apake ...........lazawaab
bahut khoob ghazal. badhaai
जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.
बहुत अच्छी रचना है, जय श्री कृष्ण!
सुन्दर अभिव्यक्ति।
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना.
sunder abhivyakti, rachna padhane ke liye dhanyawaad.
बहुत बढ़िया रचना है।बधाई।
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