रुलाकर मुझको वो भी तो रोया होगा
रुलाकर मुझको वो भी तो रोया होगा
जगाकर मुझको वो भी न सोया होगा
चलो उसे हमदर्दी की धूप मे सुखा ले
जो तकिया उसने आसुवों से भिगोया होगा
जगाकर मुझको वो भी न सोया होगा
चलो उसे हमदर्दी की धूप मे सुखा ले
जो तकिया उसने आसुवों से भिगोया होगा
कवि: रोहित कुमार "मीत" जी की रचना
6 टिप्पणियाँ:
रोहित कुमार "मीत" जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन
बहुत खुब , लाजवाब रचना।
बहुत अच्छी लगी मुझे ये पंक्तियाँ
अत्यन्त सुन्दर
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meet ji ki is rachna ke liye badhaai
khubsurat
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