क्या हुआ जो मुहँ में घास है
क्या हुआ जो मुहँ में घास है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो चोरों के सर पर ताज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो गरीबों के हिस्से में कोढ़ ओर खाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो अब हमें देशद्रोहियों पर नाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो सोने के दामों में बिक रहा अनाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो आधे देश में आतंकवादियों का राज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या जो कदम-कदम पे स्त्री की लुट रही लाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो हर आम आदमी हो रहा बर्बाद है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो हर शासन से सारी जनता नाराज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो देश के अंजाम का बहुत बुरा आगाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
इस लोकतंत्र में हर तरफ से आ रही गालियों की आवाज़ है
बस इसी तरह से मेरा यह देश आजाद है....!!!!
कवि : राजीव जी की रचना
9 टिप्पणियाँ:
कटाक्ष ......सही लिखा है ......पर क्या देश आजाद है??????????????
कटाक्ष ......सही लिखा है ......पर क्या देश आजाद है??????????????
वाकई हर प्रबुद्ध जन के भीतर आग है व्यव्स्था के विरूद्ध. राजीव जी को बधाई.
bahut sundar baat kahi aapne...
खून बहे पुरखों के
जो यह देश आजाद है
पूछती हैं वह कुर्बानियां
जो यह देश आजाद है
हमने क्या किया
जो आज यह देश आजाद है?
हम तो बाढ़ से परेशान हैं,
मगर राजीव जी की रचना की
इस सुन्दर रचना के लिए
बधाई तो दे ही देते हैं।
राजीव जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन
ek sachi rachna ,
jo desh ki sachai ko bayaan karti hain.
we are world's largest democratic country.
but reality seems different.
nice one.
क्या हुआ जो मुंह मं घास है...
कम से कम देश तो आजाद है
बहुत बढिया कटाक्ष.... भगत सिंह और उनके साथियों की चिन्ता याद आ गई... गोरे साहब जिन कुर्सियों को छोड़ जाएंगे... उन पर भूरे साहबों का कब्जा हो जाएगा....
अफसोस...!!!
www.nayikalam.blogspot.com
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