संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

क्या हुआ जो मुहँ में घास है



क्या हुआ जो मुहँ में घास है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो चोरों के सर पर ताज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो गरीबों के हिस्से में कोढ़ ओर खाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो अब हमें देशद्रोहियों पर नाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो सोने के दामों में बिक रहा अनाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो आधे देश में आतंकवादियों का राज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या जो कदम-कदम पे स्त्री की लुट रही लाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो हर आम आदमी हो रहा बर्बाद है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो हर शासन से सारी जनता नाराज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
क्या हुआ जो देश के अंजाम का बहुत बुरा आगाज है
अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!
इस लोकतंत्र में हर तरफ से रही गालियों की आवाज़ है
बस इसी तरह से मेरा यह देश आजाद है....!!!!
कवि : राजीव जी की रचना

9 टिप्पणियाँ:

ओम आर्य 18 अगस्त 2009 को 12:18 pm बजे  

कटाक्ष ......सही लिखा है ......पर क्या देश आजाद है??????????????

ओम आर्य 18 अगस्त 2009 को 12:18 pm बजे  

कटाक्ष ......सही लिखा है ......पर क्या देश आजाद है??????????????

संजीव गौतम 18 अगस्त 2009 को 7:33 pm बजे  

वाकई हर प्रबुद्ध जन के भीतर आग है व्यव्स्था के विरूद्ध. राजीव जी को बधाई.

TUMHARI KHOJ ME 18 अगस्त 2009 को 10:28 pm बजे  

खून बहे पुरखों के
जो यह देश आजाद है
पूछती हैं वह कुर्बानियां
जो यह देश आजाद है
हमने क्‍या किया
जो आज यह देश आजाद है?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 18 अगस्त 2009 को 10:39 pm बजे  

हम तो बाढ़ से परेशान हैं,
मगर राजीव जी की रचना की
इस सुन्दर रचना के लिए
बधाई तो दे ही देते हैं।

उम्मीद 19 अगस्त 2009 को 10:13 am बजे  

राजीव जी आप के इस सहयोग के लिए आप का बहुत-बहुत धन्यवाद .
आशा है भविष्य मैं भी आप का सहयोग और प्रेम इसी प्रकार अभिव्यक्ति को मिलता रहेगा , और आप के कविता रुपी कमल यहाँ खिल कर अपनी सुगंघ बिखेरते रहेंगे.
आप की इतनी सुन्दर रचना के लिए तहेदिल से आप का अभिवादन

alfaz 19 अगस्त 2009 को 3:45 pm बजे  

ek sachi rachna ,
jo desh ki sachai ko bayaan karti hain.
we are world's largest democratic country.
but reality seems different.
nice one.

बेनामी,  20 अगस्त 2009 को 7:56 am बजे  

क्या हुआ जो मुंह मं घास है...
कम से कम देश तो आजाद है

बहुत बढिया कटाक्ष.... भगत सिंह और उनके साथियों की चिन्ता याद आ गई... गोरे साहब जिन कुर्सियों को छोड़ जाएंगे... उन पर भूरे साहबों का कब्जा हो जाएगा....
अफसोस...!!!
www.nayikalam.blogspot.com

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