संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे ! पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रान्ति तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी ! तलवार से क्रान्ति नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रान्ति ही चिरस्थाई हो सकती है !अभिव्यक्ति ही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान करती है। यह प्रयास है उन्ही विचारो को शब्द देने का .....यदि आप भी कुछ कहना चाहते है तो कह डालिये इस मंच पर आप का स्वागत है….
" जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
चिट्ठाजगत

सोमवार, 9 मार्च 2009

देखो आई रंग भरी होली

देखो आई रंग भरी होली ,

चारो तरफ़ है खुशियाँ और ठिठोली ,
मानवता फ़िर क्यो लगती है ,

सहमी हुई छोरी ...

कुम्लाह गई है वो ,

निर्मम हाथो में ...

कोई नही सुनता उसकी सिस्कियो की बोली ...

देखो आई होली

चारो तरफ़ है खुशिया और थितोली .........
क्या मिलता है इन आतंकियो को

मानवता को कुचल कर ???

क्यो नही चाहते वो .......इस अमन को ????

क्यो न पसंद है इन्हे अमन और शान्ति .....!!

देखो आई रंग बिरंगी होली

चारो तरफ़ है खुशिया और ठिठोली ...................

कौन है ये ?? कहाँ से आए है ???

है तो इंसानी सकल में ..........

पर ये दरिंदगी कहाँ से सीख आए है ???

क्यो ये मेरा - मेरा करते है

देश धरम सब हमने ही बनाये है .......

क्यो इन मुट्ठी भर लोगो को ये समझ नही आता ...............

बस एक ही धरम है इस दुनिया का

"मानवता"

फ़िर क्यों

ये खून के रंग में नहाये है

देखो आई रंग भरी होली ,

चारो तरफ़ है खुशिया और थितोली ,
एक रंग है परम का .........!!

एक रंग मनाब्ता के अहसास का ......!!

और एकरूप है ईश्वर का

समझो मेरी बात को

भूल के सारी नफरतों और कुंठाओ को

रंग जाओ इस रंग में

देखो आई रंग भरी होली ,

चारो तरफ़ है खुशिया और थितोली !!

2 टिप्पणियाँ:

Vinay 9 मार्च 2009 को 5:52 pm बजे  

होली की आपको और आपके परिवार में समस्त स्वजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ

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