देखो आई रंग भरी होली
देखो आई रंग भरी होली ,
चारो तरफ़ है खुशियाँ और ठिठोली ,
मानवता फ़िर क्यो लगती है ,
सहमी हुई छोरी ...
कुम्लाह गई है वो ,
निर्मम हाथो में ...
कोई नही सुनता उसकी सिस्कियो की बोली ...
देखो आई होली
चारो तरफ़ है खुशिया और थितोली .........
क्या मिलता है इन आतंकियो को
मानवता को कुचल कर ???
क्यो नही चाहते वो .......इस अमन को ????
क्यो न पसंद है इन्हे अमन और शान्ति .....!!
देखो आई रंग बिरंगी होली
चारो तरफ़ है खुशिया और ठिठोली ...................
कौन है ये ?? कहाँ से आए है ???
है तो इंसानी सकल में ..........
पर ये दरिंदगी कहाँ से सीख आए है ???
क्यो ये मेरा - मेरा करते है
देश धरम सब हमने ही बनाये है .......
क्यो इन मुट्ठी भर लोगो को ये समझ नही आता ...............
बस एक ही धरम है इस दुनिया का
"मानवता"
फ़िर क्यों
ये खून के रंग में नहाये है
देखो आई रंग भरी होली ,
चारो तरफ़ है खुशिया और थितोली ,
एक रंग है परम का .........!!
एक रंग मनाब्ता के अहसास का ......!!
और एकरूप है ईश्वर का
समझो मेरी बात को
भूल के सारी नफरतों और कुंठाओ को
रंग जाओ इस रंग में
देखो आई रंग भरी होली ,
चारो तरफ़ है खुशिया और थितोली !!
2 टिप्पणियाँ:
होली की आपको और आपके परिवार में समस्त स्वजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ
aap ki rachna mere maan ko chhugai
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