अब के यू...
अब के यू दिल को सज़ा थी हमने
उसकी हर बात भला थी हमने
एक एक फूल याद आया
जब शाखे गुल जला थी हमने
आज तक जिसपे वो मुस्कराते रहे
बात वो कब की भला दी हमने
आज फिर याद बहुत आया वो
आज फिर उसको दुआ थी हमने
कोई तो बात है उनमे .........
हर खुशी जिसपे लुटा दी हमने
3 टिप्पणियाँ:
याद भी खूब होती है ...आती ही रहती है ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
chhotee see behtareen kavitaa, aapko aage bhee padhenge.
पवन के झकोरे सी है!
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
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