देखा जब हमने
देखा जब हमने आसमान को तो अफ़साने बदल जाते है
सोचता हूँ एक हसीन शाम तो सितारे बदल जाते है
राह पे बैठे थे हम नज़रे बिछाये किसीकी
पर वो है कि कम्बक्त रास्ते बदल जाते है
याद आती है उनकी आँसू भी आती है पलको पर
पर हर सुबह की शुरुआत मे इरादे बदल जाते है
दिल की आरजू है वो भी कभी चुप के से देखे हमे
पर उनकी हर अदा मे उनके इशारे बदल जाते है
रखा था हमने उनको दिल के करीब बहुत करीब
पर वो आते ही नही यह ज़माने बदल जाते है
कहते है इंतज़ार एक मलहम है दर्द-ए-दीवानगी का
पर कभी कभी इंतज़ार में दीवाने बदल जाते है
अगर तकनी ही है राह किसी की तो
मौत का तको बेवफा नही वो उस ज़ालिम का तरह
पर फिर भी कुछ कह नही पाते
ज़ालिम दुनिया मे तो ज़नाजे तक बदल जाते है
देखा जब हमने आसमान को तो अफ़साने बदल जाते है
सोचता हूँ एक हसीन शाम तो सितारे बदल जाते
1 टिप्पणियाँ:
आपकी पहले की भी रचनाएं पढी है । यह रचना बेहद सुन्दर बन पड़ी है । गजल के बराबर ही ।
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