ये वक्त नही रुकता
ये वक्त नही रुकता, सांस रुक जाती है
जीवन तो चलता रहता है, रहे रुक जाती है
ये वक्त नही रुकता.....
वक्त की आँधी में, न जाने कितने रिश्ते बन कर टूट गये
कुछ रहता नही सदा पर यादें रह जाती है
ये वक्त नही रुकता......
जीवन है रेलगाङी की तरह , बस चलता जाता है कुछ रिश्तो को लिये
उसके संग चलते चलते पटरी पीछे रह जाती है
ये वक्त नही रुकता......
ये तन खिलोना माटी का, दुनिया के रंग मंच पर अभिनय करता है
दो पल में ठंडा हो जाता , बस माटी ही रह जाती है
ये वक्त नही रुकता.....
ये वक्त नही रुकता, सांस रुक जाती है
जीवन तो चलता रहता है, रहे रुक जाती है
ये वक्त नही रुकता.....
1 टिप्पणियाँ:
सुन्दर अभिव्यक्ति!
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
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