मतलबी हैं लोग
सबको अपना माना तूने मगर ये न जाना…
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना
खुशियाँ चुरा के गुज़रे वो दिन
काँटे चुभा के बिछड़े वो दिन
आंखों से आंसू बहने लगे
बहते ही आंसू कहने लगे
ये क्या हुआ ये क्यूँ
हुआ कैसे हुआ मैने न जाना
मतलबी हैं लोग यहाँ पर मतलबी ज़माना
आपनो में मैं बेग़ाना बेग़ाना
ज़िन्दा है लेकिन मुर्दा ज़मीं है
जीने के काबिल दुनिया नही है
दुनिया को ठोकर क्यूँ न लगा दूँ
खुद अपनी हस्ती क्यूँ ना मिटा दूँ
जी के यहाँ जी भर गया
दिल अब तौ मारने के ढूडे बहाना
मतलबी हैं लोग यह पर मतलबी ज़माना
सोचा साया साथ देगा निकला वो भी बेग़ाना
2 टिप्पणियाँ:
बिल्कुल सच कहा!
---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
आज का कडवा सच ... अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है ।
एक टिप्पणी भेजें