मन मंद मंद मुसकाया
*******
तेरा सपना आंखो में रहे !
तेरे बातैं कानो में घुले !
लगता है तू मेरी छाया ...
आंखो में है तू ही समाया .....!!
मन मंद मंद मुसकाया ........................
कल तक तो तुम्ह जाना न था !
था अब तक तो तुम्ह पहचाना न था !
फिर कैसे तू मुझ में समाया .....
जन्मो का रिश्ता बनाया .....!!
मन मंद मंद मंद मुसकाया ...................
मुझे अब तक समझ न आया !
जाने न नज़र, पहचान जिगर !
ये कौन जिगर पर छाया .....!!
मन मंद मंद मुसकाया.......
सपना भी लगे, अपना भी लगे !
किस का है ये सुंदर साया ......!!
मन मंद मंद मुसकाया.....................
आंखो में है तू ही समाया .................
******
1 टिप्पणियाँ:
sundar rachna
keep it up!!
एक टिप्पणी भेजें