जी चाहता है
आज फिर उन का दीदार करने को जी चाहता है
आज फिर उन से प्यार करने को जी चाहता है
रहते तो हैं वो दूर हमसे
आज फिर उन के पास जाने को जी चाहता है
कितनी शिद्दत है चाहत की प्यास में
आज फिर पी कर मारने को जी चाहता है
मत पूछ कितनी मुश्किल से गुज़रते हैं दिन और रात
आज फिर उन की बाहो में जाने को जी चाहता है
आज फिर उन का दीदार करने को जी चाहता है
1 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर रचना है आज फिर उन की बाहो मे जाने को जी चाहता है कुछ पुरानी यादे ताजा हो गयी
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