ज़िन्दगी
देखो ये ज़िन्दगी है !
लगती कभी अपनी ......
कभी बैगनी ज़िन्दगी है !
हाँ! यही ज़िन्दगी है .....
जो साथ न छोड़ मेरा .....
और साथ भी न दे !
ये कैसी ज़िन्दगी है ?
कभी वो सहेली !
कभी में तनहा अकेली .....
कभी दुश्मन ये ज़िन्दगी है
हाँ ! यही ज़िन्दगी है
हाँ ! यही ज़िन्दगी है
रचना के बारे में अपनी मह्तबपूर्ण राय बताये ताकि अगली रचना और भी बहतर हो
1 टिप्पणियाँ:
zindagi to bus aisi hi hoti hai ....
haan , hamen avashya ,usak saath dena padhta hai ..
achi rachana, badhai
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें